
आकर्षण: एक ऐसा बल जिसके द्वारा एक व्यक्ति किसी वस्तु अथवा दूसरे व्यक्ति की ओर खिंचा चला जाता है. प्रियंवदा के समक्ष अपनी सोच को परखने की घड़ी आती है जब उसे उसके राज्य के लिए एक अभियान पर भेजा जाता है. एक ऐसा आविष्कार किया गया है जिसका धारक कोई भी हो शक्तिशाली बन सकता है.
वह आविष्कार क्या है यह प्रियंवदा भी नहीं जानती किन्तु उसे प्राप्त करने में उसे कई नवीन अड़चनों का सामना करना होगा. जो अबतक सोचा और जाना उसकी फिरसे परख होगी और बहुत बार निष्कर्ष इच्छानुसार नहीं होते. अपने अस्तित्व तक को पुनः सोचने पर विवश करने वाली इस यात्रा में प्रियंवदा के सहभागी बनिए और एक नए रोमांच के लिए तैयार रहिए. प्रेम, रूप, गुण और आकर्षण के विषयों का रसास्वादन कराती ये कहानी है “आकर्षण.”
*यह एक लघु-उपन्यास है.